ताजा समाचार

Haryana Weather Today: हरियाणा में शीतलहर का प्रकोप जारी, बीते दिन हुई बारिश ने बढ़ाई ठिठुरन, फसलों को हुआ फायदा

Haryana Weather Today: रविवार को हुई बारिश और बूंदाबांदी ने पूरे हरियाणा में सर्दी बढ़ा दी है, जिससे कई लोग घरों के अंदर ही रहने को मजबूर हैं। कड़ाके की ठंड से राहत पाने के लिए लोग अलाव जलाते नजर आए।

राज्य भर में बारिश की मात्रा अलग-अलग रही, अंबाला में सबसे ज़्यादा 20.5 मिमी बारिश दर्ज की गई, उसके बाद महेंद्रगढ़ (14 मिमी), हिसार (13 मिमी), भिवानी (6 मिमी) और सोनीपत (5 मिमी) में बारिश दर्ज की गई।

करनाल में 1.6 मिमी बारिश दर्ज की गई, जबकि रोहतक, सिरसा, चरखी दादरी, फरीदाबाद और गुरुग्राम में 3-3.5 मिमी बारिश दर्ज की गई। यमुनानगर में सबसे कम 1.5 मिमी बारिश दर्ज की गई।

नारनौल रहा सबसे ठंडा जिला

Delhi News: दिल्ली में पहली बार दर्शन के लिए आए बुद्ध के पवित्र अवशेष, श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने वाली
Delhi News: दिल्ली में पहली बार दर्शन के लिए आए बुद्ध के पवित्र अवशेष, श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने वाली

ठंड के बावजूद न्यूनतम तापमान में शनिवार के मुकाबले 2 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हुई, हालांकि यह मौसमी मानक से 3.6 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। नारनौल में राज्य में सबसे कम न्यूनतम तापमान 6.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

अन्य शहरों में न्यूनतम तापमान अधिक दर्ज किया गया, जिनमें अंबाला (11 डिग्री सेल्सियस), करनाल (11.4 डिग्री सेल्सियस), हिसार (9.5 डिग्री सेल्सियस), रोहतक (8.8 डिग्री सेल्सियस) और गुरुग्राम (7.9 डिग्री सेल्सियस) शामिल हैं।

फसलों के लिए लाभदायक रही बारिश

भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान (IIWBR) के वैज्ञानिकों के अनुसार, हाल ही में हुई बारिश गेहूं की फसल के लिए फायदेमंद रही है। IIWBR के निदेशक डॉ. रतन तिवारी ने कहा कि इस समय हुई बारिश गेहूं की फसल के लिए फायदेमंद है, क्योंकि इससे स्वस्थ विकास के लिए पर्याप्त नमी सुनिश्चित होगी।

Punjab News: फोन में छुपा था गद्दारी का राज! गगन से उजागर हुए ISI के 20 एजेंट, पांच साल की गुप्त साजिश
Punjab News: फोन में छुपा था गद्दारी का राज! गगन से उजागर हुए ISI के 20 एजेंट, पांच साल की गुप्त साजिश

डॉ. तिवारी ने बताया कि पिछली बार महत्वपूर्ण बारिश 3 जनवरी को हुई थी, जिसके बाद करीब 10 दिन का अंतर रह गया था। हालांकि, उन्होंने किसानों को गेहूं की फसलों में पीले रतुआ के खतरे के बारे में आगाह किया और सतर्कता बरतने की सलाह दी।

उन्होंने कहा कि मौजूदा जलवायु परिस्थितियाँ पीले रतुआ के लिए बहुत अनुकूल हैं, इसलिए फसलों पर नज़र रखने की ज़रूरत है। डॉ. तिवारी ने यह भी सुझाव दिया कि किसानों को लक्षणों का सटीक निदान करने के लिए स्थानीय कृषि संस्थानों या कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) से परामर्श करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि पत्तियों का पीला पड़ना हमेशा पीले रतुआ का संकेत नहीं होता है। हालांकि यह वर्षा कृषि के लिए स्वागत योग्य है, लेकिन इसने राज्य भर में सर्दी को और बढ़ा दिया है, जिससे निवासियों को आने वाले दिनों में और अधिक ठंड का सामना करना पड़ेगा।

Back to top button